Ali Shiran

Ali Shiran

@ali-shiran

Ali Shiran shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Ali Shiran's shayari and don't forget to save your favorite ones.

Followers

0

Content

9

Likes

0

Shayari
Audios
  • Ghazal
मैं तुझ पे कर नहीं सकता निसार और चराग़
हवा-ए-लम्स के झोंके न मार और चराग़

उठा के ताक़ से इक रोज़ फेंक देगा कोई
मिरा वजूद तिरा इंतिज़ार और चराग़

सफ़र को याद रहेगा हमारा रख़्त-ए-सफ़र
ये सुर्ख़ आबले गर्द-ओ-ग़ुबार और चराग़

तो जान लेना कि फिर इम्तिहान-ए-दोस्ती है
अगर बुझाया गया एक बार और चराग़

तिरी जुदाई में इक दूसरे को तकते हैं
तमाम रात रुख़-ए-अश्क-बार और चराग़

वजूद-ए-वक़्त पे तज़ईन-ए-शब के ज़ेवर हैं
हमारी नींद हसीं ख़्वाब-ज़ार और चराग़

क़दीम वक़्तों से इक दूसरे के यार हैं ये
कभी बिछड़ नहीं सकते मज़ार और चराग़

समाँ बनाते हैं शब का सफ़ेद चेहरों पर
सियाह रंग के गहरे हिसार और चराग़

नवेद-ए-सुब्ह के इम्काँ में चल बसे दोनों
शब-ए-शिकस्त का गिर्या-गुज़ार और चराग़

शब-ए-सुकूत में ‘शीरान’ महव-ए-रक़्स हैं सब
धुआँ अंधेरा हवा-ए-ख़ुमार और चराग़
Read Full
Ali Shiran
आतिश-ए-ज़ख़्म से जब सीना पिघलता था मिरा
मुँह से आवाज़ नहीं ख़ून निकलता था मिरा

सुर्ख़ अंगारे दहकते थे मिरी आँखों में
तेरी तौहीन पे जब रंग बदलता था मिरा

इतनी मानूस थी एहसास की लौ धूप के साथ
जिस्म सूरज के उतर जाने से जलता था मिरा

कम न थी मौत की रफ़्तार से रफ़्तार-ए-सफ़र
साँस रुक जाते थे जब क़ाफ़िला चलता था मिरा

ग़ैर आबाद मसाफ़त में ग़नीमत थी ज़मीं
कारवाँ गर्द की ख़ूराक पे पलता था मिरा

दौड़ते दौड़ते मैदान में प्यासों के लिए
पाँव के तलवों से एहसास निकलता था मिरा

हब्स अंदर की निकलती तो हवा रुक जाती
साँस मुश्किल से ये माहौल निगलता था मिरा

वहशती राहगुज़र तय न हुई मुझ से 'अली'
जिस्म तो जिस्म है साया भी दहलता था मिरा
Read Full
Ali Shiran