वो हम में से ही थे कोई जिन्होंने दिल दुखाया है
अभी कुछ दिन ही पहले निर्भया को भी रुलाया है
अगर वो आज ख़ुद ये देख लेते शेर क्या कहते
कि अब ग़ालिब के कलकत्ते में तुमने ख़ूॅं बहाया है
तुम्हारे घर में माँ-बीवी बहन-बेटी नहीं होती
ये करके नाम तुमने सारे मर्दों का डुबाया है
तुम्हें ख़ुद शर्म आनी चाहिए ममता ये कहने में
कि औरत हो के तुमने फिर उसी का हक़ मिटाया है
सुनो ऐ लड़कियो चीखें हज़ारों साल इस जैसी
तुम्हें हक़ माँगना ऐसी ही चीखों ने सिखाया है
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