Laxmi Narayan Farigh

Laxmi Narayan Farigh

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Laxmi Narayan Farigh shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Laxmi Narayan Farigh's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
नक़ाब-ए-बज़्म-ए-तसव्वुर उठाई जाती है
शिकस्त-ख़ुर्दों की हिम्मत बढ़ाई जाती है

भटकने लगता है राह-ए-वफ़ा से जब आलम
हदीस-ए-इश्क़ हमारी सुनाई जाती है

मता-ए-होश-ओ-ख़िरद बे-बहा सही लेकिन
दर-ए-हबीब पे ये भी लुटाई जाती है

नज़र से होती है लुत्फ़-ओ-करम की बारिश भी
नज़र से बर्क़-ए-तपाँ भी गिराई जाती है

वुफ़ूर-ए-शौक़ की देखो तो मस्लहत-कोशी
जुनूँ की बात ख़िरद से छुपाई जाती है

किस ए'तिमाद से आग़ाज़-ए-दौर-ए-उल्फ़त में
ख़याल-ओ-ख़्वाब की दुनिया बसाई जाती है

फ़ज़ा-ए-रूह पे तारीकियाँ मुसल्लत हैं
हरम में शम-ए-अक़ीदत जलाई जाती है

दिखा दिखा के मआल-ए-जुनूँ की फ़ित्नागरी
बशर को रस्म-ए-मुरव्वत सिखाई जाती है

मता-ए-इश्क़-ओ-मोहब्बत निगाह-ए-आलम से
किस एहतियात से 'फ़ारिग़' छुपाई जाती है
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Laxmi Narayan Farigh
बिसात-ए-रंग-ओ-बू आतिश-फ़िशाँ मालूम होती है
रग-ए-गुल में निहाँ बर्क़-ए-तपाँ मालूम होती है

तमन्ना ही से क़ाएम है वक़ार-ए-नौजवानी भी
तमन्ना गरचे जिंस-ए-राएगाँ मालूम होती है

किनारा है कोई इस का न इस का कोई साहिल है
मोहब्बत एक बहर-ए-बे-कराँ मालूम होती है

गुज़िश्ता वारदातों पर मैं जब भी ग़ौर करता हूँ
मुझे हर वारदात इक दास्ताँ मालूम होती है

वफ़ा-कोशी का जज़्बा सर्द पड़ जाता है पीरी में
वफ़ा परवर्दा-ए-फ़िक्र-ए-जवाँ मालूम होती है

असर बाक़ी अभी तक है निगाहों में जवानी का
मुझे हर एक शय अब भी जवाँ मालूम होती है

जफ़ा-ओ-जौर के क़िस्से हैं अब भी मो'तबर 'फ़ारिग़'
वफ़ा की बात ज़ेब-ए-दास्ताँ मालूम होती है
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