"अपनो के बिन बिताये बुरे दिन"
ये चाँद ये तारे, ये ओझल थे सारे
थी तन्हाई, था मातम कुछ आंसू हमारे
एक अलग सी दुनिया जो थी बेरंग
दूर था घर सब दूर हमारे
वो दिन वो रात कुछ फर्क नही था
सजाये थी सब बस नरक नही था
थी उम्मीद, था हौसला, और चंद ख्वाब के सहारे
तैर कर पार कर दिए दरिया वो सारे
वो ताने, वो बाते वो छोटी सी नौकरी
वो नंन्हे से कांधो पर ख्वाहिश की टोकरी
वो सड़क, वो नदी और नदिया के किनारे
वो जुगनू जो सुनते थे दुखड़े हमारे
वो दर्द, भुखार और जरूरत मेरी
वो हर तरफ दिखना सूरत तेरी
थी गलती और मजबूरी साथ हमारे
काट ही दिए बुरे दिन भी सारे
ये चांद ये तारे, ये ओझल थे सारे
थी तन्हाई, था मातम कुछ आंसू हमारे
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