ग़म की दौलत मुफ़्त लुटा दूँ बिल्कुल नहीं
अश्कों में ये दर्द बहा दूँ बिल्कुल नहीं
तूने तो औक़ात दिखा दी है अपनी
मैं अपना मेयार गिरा दूँ बिल्कुल नहीं
एक नजूमी सबको ख़्वाब दिखाता है
मैं भी अपना हाथ दिखा दूँ बिल्कुल नहीं
मेरे अंदर इक ख़ामोशी चीखती है
तो क्या मैं भी शोर मचा दूँ बिल्कुल नहीं
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