गम की दौलत मुफ्त लुटा दूं…. बिल्कुल नहीं!
अश्कों में ये दर्द बहा दूं…..बिल्कुल नहीं!
तूने तो औकात दिखा दी है अपनी
मैं अपना मयार गिरा दूं… बिल्कुल नहीं!
एक नजूमी सबको ख्वाब दिखाता है.
मैं भी अपना हाथ दिखा दूं…. बिल्कुल नही!
मेरे अंदर एक ख़ामोशी चीखती है
तो क्या मैं भी शोर मचा दूं…बिल्कुल नही!
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