फ़क़त टूटे नहीं हम जुड़ के फिर पनपे भी हैं देखो
सिवा ज़ख़्मों के दुनिया से मिले मिसरे भी हैं देखो
मुहब्बत बाग़ से करते हो तो कैसी तरफ़दारी
अगर गुल हैं तो पत्ते भी हैं और काँटे भी हैं देखो
जो दिखलाया गया था उस पे तो चलता रहा लेकिन
कोई ये काश कह देता अलग रस्ते भी हैं देखो
ये जो दुनिया की झोली है ये सचमुच ही निराली है
यहाँ दरवेश भी हैं और हम जैसे भी हैं देखो
तसल्ली हो गई क्या देख के आईने में ख़ुद को
किया जाए फिर अब एलान हम दिखते भी हैं देखो
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