खो कर फ़िराके यार में ऐसा कमाल कर
चेहरे पे जो लहू है तू उसको गुलाल कर
जानी तेरी ये सुरमई आँखों में क्या मज़ा
आँखों कि शान ये है की रो रो के लाल कर
किस्मत भी कोई चीज़ है और है भी या नही
आओ जवाब ढूंँड ले सिक्का उछाल कर
आँखों में खो गए तेरी बातों में खो गए
आज़ाद कर तिलिस्म से कोई सवाल कर
इतना जो खुल के आया है गैरों के सामने
मेरा नही तो यार तू अपना ख़्याल कर
जाने लगे हैं आप तो जाएँ न शौक़ से
कितनो को हमने रख दिया दिल से निकाल कर
मैं सच कहूँ तो यार ये पेशा अजीब है
हँसते हुए ग़ज़ल पढ़ो आँसू सँभाल कर
या रब उदास लोग तो बढ़ने लगे बहुत
अब वक़्त है के एक दो चीज़ें हलाल कर
होती है इक ग़ज़ल भी तो औलाद की तरह
औलाद की तरह ही 'रज़ा' देख भाल कर
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