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वो जा चुका और आँख तेरी अभी तलक क्यों भरी नहीं है - Akib khan

वो जा चुका और आँख तेरी अभी तलक क्यों भरी नहीं है
सवाल ये कुछ अजीब सा है के सहरा में क्यों नमी नहीं है

हसीन इतना के सब हसीनों को पीछे छोड़े जहाँ भी जाए
कमाल इतना के बेवफ़ाई में उससे आगे कोई नहीं है

तमाम भँवरे इसी जुगत में लगे हुए हैं किसी तरह से
बना लें रस्ता वो दिल में उसके कली जो अब तक खिली नहीं है

तुम्हारे बारे में सच कहा है खराब लगना तो लाज़िमी है
तुम्हें ये इतनी जो लग रही है ये बात इतनी बुरी नहीं है

कहीं पे प्याला पकड़ के कोई खुशी से झूमे ही जा रहा है
किसी को हैं तख़्त-ओ-ताज हासिल मगर ज़रा भी खुशी नहीं है

- Akib khan

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