"ग़म सारे के सारे "
खत लिखे थे कितने सारे
सारे के सारे जला दिए
उम्मीदों की राह पर से दिये
सारे के सारे बुझा दिए
मोहब्बत के सबूत थे जो
सारे के सारे मिटा दिए
ज़ख्म गहरे कर दिए और
सारे के सारे बढ़ा दिए
इल्ज़ाम मेरे सर दूरियों के
सारे के सारे लगा दिए
वो खुश रहा मेरे बग़ैर
ग़म सारे के सारे मुझे दिए
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