ख़्वाब आँखों में जगाता है चला जाता है
जो भी आता है रुलाता है चला जाता है
दिल में नफ़रत का लिए रहता है अंबार मगर
गीत वो प्रेम का गाता है चला जाता है
इक कबूतर जो मेरी छत पे अभी आया है
याद उसकी वो दिलाता है चला जाता है
रात करवट भी बदलता हूँ तो डर जाता हूँ
वो मेरे ख़्वाब में आता है चला जाता है
गाहे गाहे तो नज़र आता है मेरे दर पर
दर्द दिल का वो बढ़ाता है चला जाता है
नींद उसने तो उड़ाई है मेरी आँखों से
चैन दिल का भी चुराता है चला जाता है
अब मेरी ख़ैर नज़र आती नहीं है मुझको
आग में ग़म की जलाता है चला जाता है
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