नाज़ है यूँ अजीब कहलाऊॅं
यार अपना रक़ीब कहलाऊॅं
थूक दूँ कुछ यहाँ वहाँ वहशत
और मैं भी अदीब कहलाऊॅं
बारहा रास्त लिख रहा जो यूँ
इल्तिजा है सलीब कहलाऊॅं
शुक्रिया मत कहो मुझे साहिब
आरज़ू है तबीब कहलाऊॅं
लिख रहा नज्म़ रूह पे कामिल
ख़्वाब है इक नजीब कहलाऊँ
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