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कब तलक दौलत से अपनी आप जाने जाओगे - Ravi 'VEER'

कब तलक दौलत से अपनी आप जाने जाओगे
साथ जब कोई न होगा किस ठिकाने जाओगे

चार दिन की ज़िंदगी मे बैर अपनो से ही क्यों
एक दिन तो आप भी उनके ही शाने जाओगे

मानता हुँ आपने पाया बहुत लेकिन सुनो
कामयाबी आपकी किसको सुनाने जाओगे

जो निभाने थे कभी रिश्ते निभाए ही नही
अब भला किस मुँह से उनको निभाने जाओगे

है नही कोई यहाँ जो ता-क़यामत जी सके
मौत से बचकर कहाँ खुद को छुपाने जाओगे

ख़ाक होने से बचा है आज तक कोई नही
देखते है किस तरह ख़ुद को बचाने जाओगे

धूल का इक कण भी ऊपर साथ मे ना आएगा
आख़िरी साँसों में तुम क्या-क्या उठाने जाओगे

- Ravi 'VEER'

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