बता रहे हैं ये मीर-ओ-ग़ालिब के मुस्कुराओ उदास लड़कों
ग़ज़ल लिखो तुम ग़ज़ल पढ़ो तुम ग़ज़ल सुनाओ उदास लड़कों
बुज़ुर्ग लोगों ने ये कहा है उदास रहना सही नहीं है
बुज़ुर्ग लोगों की बात मानो हँसो हँसाओ उदास लड़कों
उतार फेंको हसीं लबों से चलो उदासी के पैरहन को
हसीं लबों पर सभी चलो अब हँसी सजाओ उदास लड़कों
अगर उदासी से थक चुके हो सुकूँ की ख़ातिर तरस रहे हो
तो आओ आकर मज़ार-ए-मजनूँ पे सर झुकाओ उदास लड़कों
उदासियों के समंदरो में जो मन की कश्ती डूबो रही है
तमाम यादें वो मन की कश्ती से तुम मिटाओ उदास लड़कों
उदासी हद से सिवा बढ़ी तो सबब बनेगी ये ख़ुदकुशी का
ख़ुदारा हद से सिवा उदासी को मत बढ़ाओ उदास लड़कों
अगर वो ख़ुश हैं तुम्हें भुलाकर उदास जिनकी वजह से तुम हो
तो तुम भी उनको चलो भुलाकर ख़ुशी मनाओ उदास लड़कों
ये इश्क़ की जो वबा है आई ये उनकी ख़ातिर बुरी बला है
जो नौजवाँ भी हैं इसकी ज़द में उन्हें बचाओ उदास लड़कों
उदास लड़कों उदास रहने से कुछ नहीं है जहाँ में हासिल
उदासी छोड़ो शजर की मानो ग़ज़ल ये गाओ उदास लड़कों
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