आज भी हाथ खाली, लगा हाथ कुछ भी नहीं
अब कटेगी नहीं वैसे तो रात कुछ भी नहीं
एक दरिया हूं मैं ख़्वाहिशों का मुझे भाप ले
मेरी इस प्यास के आगे बरसात कुछ भी नहीं
एक लड़की का है बर्थडे और मेरा हाल देख
नौकरी जा चुकी, तोहफ़े को हाथ कुछ भी नहीं
इश्क़ में लोग अपनी लुटा देते है जान, फिर
तेरे अब तक के बिगड़े ये हालात कुछ भी नहीं
लोग गर आप करके भी बोलें तो गुस्सा लगे
आप गर तू- तू भी बोलो तो बात कुछ भी नहीं
ख़ुद मैं ही जी रहा हूं किसी और के देन पे
पास मेरे है देने को ख़ैरात कुछ भी नहीं
तू जो कह देता तो हम क्या न कर देते तेरे लिए
हाथी, घोड़े ये बाजा, ये बारात कुछ भी नहीं
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