अपने ख़्वाबों में भी जिसको सजा रखा है
मैनें उसको दिल की मलिका बना रखा है
अरब लहू गोया मिस्री लहजा है उसका
उसने तो पैकर अफ़्ग़ानी बना रखा है
ज़ीनत-ए-हुस्न है ये दोनो आँखे उसकी
उनको तो ज़ेबाइश-ए-नूर बना रखा है
उसके आरिज़ पे हैं दोनो जहान माइल
उसने हूरों को शैदाई बना रखा है
गुज़ार देते हैं रातें पहलू में उसके
जुगनू को भी दर का फ़क़ीर बना रखा है
उसके पर्दे की इस्मत कैसी है जानाँ
आँखो से तो नक़ाब उसने हटा रखा है
लब जैसे गुल सुमबुल रंग-ए-याक़ूती है
खुद को मैख़ाना तितली का बना रखा है
दिल की हसरत उसके काले तिल का बोसा
उसने हज्रुल-अस्वद जिसको बना रखा है
बेशक वो रब क़ाबिल है अपनी क़ुदरत में
उसने तुझ-सा बंदा जो बना रखा है
फ़क़त मिरा आलम-ए-तसव्वुर है वो आमिर
उसको बस दिल की हसरत ही बना रखा है
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