आप अपना भी तुझे सौंप दिया है ज़ोहरा
मुझ में कुछ भी तो नहीं मेरा बचा है ज़ोहरा
बाद तेरे ही ये महसूस किया लोगो ने
अब उदासी ही फ़क़त मेरा पता है ज़ोहरा
जो सजाए थे कभी साथ में मिलकर हमने
ज़िन्दगी उन हसीं ख़्वाबों से जुदा है ज़ोहरा
मेरे माथे की शिकन और ये बहती आँखे
यह मोहब्बत का तेरी मुझको सिला है ज़ोहरा
यूँ बिछड़ के भी निभाया है त'अल्लुक़ तुझसे
मैंने मर के भी तेरा हिज्र जिया है ज़ोहरा
कैसे गुज़रीं हैं ये बरसात की रातें मुझ पर
मेरी आँखो से तेरा दर्द बहा है ज़ोहरा
क्या ख़ुदाओ से भी हो सकती हैं कोई गलती
मुझको लगता था कि तू जैसै ख़ुदा है ज़ोहरा
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