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आँखें नम हैं सूरत पे ग़म तारी है  - Aisha Ayyub

आँखें नम हैं सूरत पे ग़म तारी है
किस को रुख़्सत करने की तय्यारी है

कौन तुम्हारे दुख में हिस्सा-दार बने
सब का अपना दुख है और वो जारी है

मातम करने वाले लोगों में देखो
कितना ग़म है और कितनी ग़म-ख़्वारी है

सब के इस में अपने अपने ख़ाने हैं
ज़ेहन पुरानी यादों की अलमारी है

रो देने में कितनी मेहनत लगती है
हँस देना तो चेहरे की फ़नकारी है

आसानी से अपनी बातें कह देना
ये भी अच्छी ख़ासी इक दुश्वारी है

- Aisha Ayyub

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