कहु मैं भी करू चर्चा हमारा
बता दूँ सबको क्या रिश्ता हमारा
न पूछो क्या हुआ कैसे क्या हुआ था
जी बस हो गया झगड़ा हमारा
हसीं कितना बूना था ख्वाब हमने
बताइये अब्नाम का लड़का हमारा
मिले अक्सर नदी के घाट पर हम
वहीँ से बह गया रिश्ता हमारा
तुम्हारी बात बातें तुम्हारी
हमी पर नहीं चलता बस हमारा
उछलता है दीये को पास पाकर
बोहोत मगरूर है साया हमारा
सुनाये क्या अभी से हम जहाँ को
अधूरा है अभी किस्सा हमारा
Our suggestion based on your choice
As you were reading Shayari by Anand Raj Singh
our suggestion based on Anand Raj Singh
As you were reading Khwab Shayari