क्या बताए अब तुम्हें क्या चल रहा है
दिल में बस यादों का मेला चल रहा है
कोई अनबन ही नहीं हम दोनो में अब
चाहता है जो वो वैसा चल रहा है
बेझिझक सोए हुए है हम यहाँ पर
और ख़्वाबों का ये धंधा चल रहा है
रात, तन्हाई, उदासी, तेरी यादें
उसपे ये नुसरत का गाना चल रहा है
पर कटे हैं, हौसला बाक़ी है अब भी
पेड़ से गिर कर परिंदा चल रहा है
वक़्त मेरा हिज़्र का है यार लेकिन
एक दिन तुझ पर बकाया चल रहा है
जिंदा रहना और करना शायरी भी
काम ये शाना-ब-शाना चल रहा है
फूल है कोई न कोई इत्र तो फिर
क्या है जो इतना महकता चल रहा है
लोग अक्सर घर पे आकर कहते है अब
आपका साहब ये बेटा चल रहा है
मैं तो सय्यद कब का थक कर रुक गया हूँ
धूप में पर मेरा साया चल रहा है
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