चलो , तुम कह रहे हो गर, तो आदत छोड़ देते हैं
तुम्हारे ही लिए तुमसे मुहब्बत छोड़ देते हैं
हमारे इश्क़ को वहशत समझने लग गए तो फिर
बिलखते ख़्वाब , ख़ामोशी ये वहशत छोड़ देते हैं
As you were reading Shayari by Chandan Mishra
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