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तुम्हारी रूह को  - KAPIL DEV

तुम्हारी रूह को
छूने की तमन्ना है मुझे
तुम्हारे जिस्म की
सरहद से पार जाना है

तुम्हारी आंख के आंसुओं से
आंख अपनी भिगोनी है
तुम्हारे दर्द को अपने
दिल पे पहनना है मुझे
अपनी खुशी तुम्हारे
कान की बालियों में पिरोनी है

तुम्हारी हंसी के गहरे
समुंदरों में डूबना है
उदासी के हर पैरहन
को उतार जाना है।

तुम्हारी रूह को
छूने की तमन्ना है मुझे
तुम्हारे जिस्म की
सरहद से पार जाना है

- KAPIL DEV

Dard Shayari

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