इक ऐसे शेर से हैं हम न जिस में रब्त-ओ-मानी है - KUNAL

इक ऐसे शेर से हैं हम न जिस में रब्त-ओ-मानी है
यही मिसरा-ए-ऊला है नहीं मिसरा-ए-सानी है

वो जिसमें हैप्पिली हों लिव्ड एवर आफ़्टर दोनों
नहीं ये वो नहीं क़िस्सा नहीं ये वो कहानी है

हाँ घर से भाग कर शादी तो कर सकते थे हम लेकिन
नहीं तुझ में वो अल्हड़पन न मुझ में वो जवानी है

या कह लो तुम ग़ुरूर इसको या इसको इश्क़ कह लो तुम
न तुझ को हारने देना न तुझ से मात खानी है

मैं उसके साथ भी तेरी कमी महसूस करता हूँ
न उस से तोड़नी है और नहीं तुझ से निभानी है

- KUNAL
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