मैं प्यार तो करता हूँ, मैं दिलदार नहीं हूँ - KUNAL

मैं प्यार तो करता हूँ, मैं दिलदार नहीं हूँ
मैं वार तो करता हूँ , मैं तलवार नहीं हूँ

माना कि मैं दुनिया तेरे कुछ काम न आया
ख़ुदरंग हो सकता हूँ, मैं बेकार नहीं हूँ

मैं जाँच परख कर के तुझे अपना बना लूँ
आशिक़ हूँ तेरा, तेरा ख़रीदार नहीं हूँ

कह कुछ दूँ, करूँ कुछ, मैं पलट बात से जाऊँ
मैं, मैं हूँ मेरी जान, मेरा यार नहीं हूँ

तूने जो दिया छोड़ न टकराया किसी से
अंधा हूँ बिना लकड़ी पर इस बार नहीं हूँ

जीवन को भरोसे पे मेरे काटने वाले
रस्ते का मुसाफ़िर हूँ मैं हमवार नहीं हूँ

तू था नहीं तो लगता था बस तेरी कमी है
क्यूँ अब तेरे होने पे मैं साकार नहीं हूँ

पैसे मिले तो सच को मैं अब झूठ बना दूँ
शाइर की क़लम हूँ मैं, मैं अख़बार नहीं हूँ

ये हुस्न के नुस्ख़े न चले मुझ पे पता क्यों
मैं वैद्य हूँ मैं इश्क़ का बीमार नहीं हूँ

उँगली पे नचाने को मचलता है मुझे क्यूँ
जो तूने लिखा था मैं वो किरदार नहीं हूँ

मौला मेरे मौला मेरी फ़रियाद ज़रा सुन
क्या उस की मुहब्बत का मैं हक़दार नहीं हूँ

ये ज़िंदगी की कश्ती जिधर जाए सो जाए
माँझी नहीं मैं, इसकी मैं पतवार नहीं हूँ

मैं साथ तो चलता हूँ सदा सब के बराबर
इस पार तो होता हूँ मैं उस पार नहीं हूँ

मैं दिल हूँ मुझे तोड़ने वालों ज़रा सुन लो
मैं एक ही हूँ सीने में दो चार नहीं हूँ

मिलने की तमन्ना हो चले आया करो बस
दिन देख के आते हो मैं त्यौहार नहीं हूँ

बहरूपिया हूँ अस्ल में, मैं नीम नहीं हूँ
कड़वा तो बहुत हूँ मैं, असरदार नहीं हूँ

हफ़्ते की ये दूरी सही जाए नहीं मुझसे
बुधवार समझ मिल मुझे इतवार नहीं हूँ

छोड़ा था तुझे पर न हुआ ग़ैर का हम दम
तन्हा भले, साथी का तलबगार नहीं हूँ

रफ़्तार मेरी अपनी मेरा अपना सफ़र है
बढ़ तो रहा हूँ आगे लगातार नहीं हूँ

आज़ाद तू बेशक रहे सेंटर पे हमेशा
सर्किल में करूँ क़ैद मैं परकार नहीं हूँ

लफ़्ज़ों की बदल फेर है, बातें न नई कुछ
मैं साफ़ बताता हूँ सुख़न-कार नहीं हूँ

- KUNAL
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