0

ज़िन्दगी में कही कुछ कमी रह गयी - Lokesh Singh

ज़िन्दगी में कही कुछ कमी रह गयी
मेरे होठों पे बस तिश्नगी रह गयी

इतनें अरमानों का कत्ल हमनें किया
हर तमन्ना दबी की दबी रह गयी

दिल झुलसता रहा आतिश-ए-इश्क से
राह में बेकरां तीरगी रह गयी

उनकों जाता हुआ देखकर यूं लगा
नब्ज थम सी गयी और थमी रह गयी

वो जलाता रहा खत मेरे सामने
चश्म-ए-पुरनम झुकी की झुकी रह गयी

याद करते रहें दिल ही दिल में तुझे
शम्अ बुझ के भी जलती हुई रह गयी

अब गम ए जिंदगी से मैं बेफिक्र हूँ
जब कलम पे मेरी शायरी रह गयी

- Lokesh Singh

Zindagi Shayari

Our suggestion based on your choice

More by Lokesh Singh

As you were reading Shayari by Lokesh Singh

Similar Writers

our suggestion based on Lokesh Singh

Similar Moods

As you were reading Zindagi Shayari