दिलों में जिसके मुहब्बत हो हर बशर के लिए

  - Meena Bhatt

दिलों में जिसके मुहब्बत हो हर बशर के लिए
कि ऐसा चाहिए बस हमसफ़र सफ़र के लिए

कटे ये रात मिटे तीरगी भी दुनिया से
नसीब कोई चरागाँ हो अब सहर के लिए

मिले सनम हमें ऐसा जो दिल में घर कर ले
सफ़र भी ज़ीस्त का बेहतर हो फिर गुज़र के लिए

वफ़ा का बस हो मुलाज़िम जो शख़्स यार यहाँ
ग़ुलाम मैं बनूँ उसकी तो उम्र भर के लिए

रही वो बंद फ़क़त बस्तों में तो ऑफ़िस के
कि तरसीं फाइलें हाकिम की इक मुहर के लिए

कहाँ हैं अब तो मयस्सर श्रमिक को हैं ख़ुशियाँ
बहा है जिनका पसीना तो इस नगर के लिए

अवाम जानती है राज़ हर सियासत का
वो मर मिटेगी हर इक बात में असर के लिए

  - Meena Bhatt

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