तुम्हारे आने से इस बज़्म में दिलबर बहार आए
मिले नज़रों से नज़रें और इस दिल को क़रार आए
बड़ी चालाक़ है दुनिया गुज़ारा अब करें कैसे
कि वापस हो चमक चेहरे की कोई आबदार आए
अज़ल से यार दुश्मन है ज़माना इस मुहब्बत का
मगर इस दिल पे हमको कुछ नहीं क्यों इख़्तियार आए
उठाए लुत्फ़ हमने तो हमेशा मयकशी के हैं
मिलें नज़रें नशीली जब कोई हमको ख़ुमार आए
न कोई है दवा इसकी न चारागर यहाँ कोई
कभी उतरे नहीं जो ऐसा उल्फ़त में बुख़ार आए
न पूछें मुफ़लिसी में हाल आकर ये ज़माना भी
करम की इक नज़र देखे कोई तो ग़मगुसार आए
सफ़र पे नेकियों के हम चले दिन रात ही 'मीना'
न डरते हैं अगर रस्ते में कोई भी गुबार आए
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