इरादा रख मुहब्बत का हमें वो आज़माते हैं

  - Harpreet Kaur

इरादा रख मुहब्बत का हमें वो आज़माते हैं
हमारा जलवा तक भी तो नहीं दिलबर उठाते हैं

नज़र से वार करते हैं करें ज़ख़्मी मुहब्बत में
वो हरदम ज़हर वाले तीर आँखों से चलाते हैं

उठा कर चलते ज़िम्मेदारी की गठरी हमेशा ही
मुहब्बत को हमारी वो तमाशा सा बताते हैं

ज़माना ख़ूबसूरत कहके बैठाता हमें पलकों
न जाने क्यों नज़र वो हम से हरदम ही चुराते हैं

नहीं करते लबों से प्रीत वो इज़हार ये माना
भरें आगोश में बेबात यूँ चाहत जताते हैं

  - Harpreet Kaur

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