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खाने को तो ज़हर भी खाया जा सकता है - Shakeel Jamali

खाने को तो ज़हर भी खाया जा सकता है
लेकिन उस को फिर समझाया जा सकता है

इस दुनिया में हम जैसे भी रह सकते हैं
इस दलदल पर पाँव जमाया जा सकता है

सब से पहले दिल के ख़ाली-पन को भरना
पैसा सारी उम्र कमाया जा सकता है

मैं ने कैसे कैसे सदमे झेल लिए हैं
इस का मतलब ज़हर पचाया जा सकता है

इतना इत्मिनान है अब भी उन आँखों में
एक बहाना और बनाया जा सकता है

झूट में शक की कम गुंजाइश हो सकती है
सच को जब चाहो झुठलाया जा सकता है

- Shakeel Jamali

Dil Shayari

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