उस घूँघट में इक चेहरा है उस चेहरे पे इक तिल भी है
उस तिल पे हमारी जान फिदा कुरबान उसी पर दिल भी है
वो सतरह आशिक़ क़त्ल हुए इन तेरी फरेबी नज़रों से
इक हद तक तो मासूम तू है पर इक हद तक क़ातिल भी है
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