देखें तो अपनी निगाहों से दिखाऊँ ग़ज़लें
दिल तो है सिर्फ़ हसीनों को सुनाऊँ ग़ज़लें
आप पे शेर कोई कहने से पहले जानाँ
बनता है चाशनी में थोड़ी डुबाऊँ ग़ज़लें
लट को उँगली से हटा कर निगह-ए-शौख़ी से
कान में मेरे कहा उसने सिखाऊँ ग़ज़लें
शेर-गोई से मेरी ख़त्म हुई जिद्द-ओ-जहद
क्यों बराबर न ख़ुदा के मैं बिठाऊँ ग़ज़लें
जंग ही जंग है दुनिया में बशर फिर भी अब
पूरी कोशिश है मोहब्बत की सुनाऊँ ग़ज़ले
देख महफ़िल में सुख़न-वर सभी अच्छे अच्छे
मैं तो ये सोचता हूँ भूल ही जाऊँ ग़ज़लें
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