जब इबादत की नहीं तुमने मोहब्बत की नहीं
क्या मिलेगा जा के जन्नत ज़िन्दगी जो जी नहीं
हर ख़ुशी हर ग़म में सहरा से समंदर में सदा
था ख़ुदा बस है ख़ुदा बस उसके बिन कुछ भी नहीं
तू मिला तो सब मिला सब में मिला बस तू ही तू
तू ही तन मन तू ही सब कुछ तेरे बिन कुछ भी नहीं
ये कहा तुमने कहीं जा मर तो लो मैं मर गया
इश्क़ में मारा गया मैं ख़ुद-कुशी तो की नहीं
इश्क़ को होता गया यूँ इश्क़ हम से ऐ ख़ुदा
खो गया था मैं भी ख़ुद में तू भी तुझ में थी नहीं
प्यार माँगा प्यार चाहा प्यार जाने है कहाँ
प्यार में था मैं मरा शर्मिंदगी कोई नहीं
इक नज़र भर देख लूँ मैं फिर जो चाहे हो सो हो
टूटना दिल का यहाँ वैसे भी बर्बादी नहीं
बात की फूलों से उसने यूँ गया गुलशन महक
शुक्र है उसने ख़ुदा कोई कली चूमी नहीं
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