चाहे किसी पे हो न असर जागते रहो
आगाह कर रहा है सफ़र जागते रहो
कहती है ज़िंदगी के ख़ुशी से गुज़ार दो
आँखें भले हो बंद मगर जागते रहो
अख़बार दे दिलासे, ख़बर जागते रहो
सब लोग जा रहे हैं किधर जागते रहो
मुमकिन नहीं मिले ये सभी कारवाँ हमें
रस्ते पे भी रखो ये नज़र जागते रहो
वो मुझसे कह रहा है के दिल भी भरा नहीं
जारी है हादसों का सफ़र जागते रहो
जो मेरा था कभी वो मेरा हो नहीं रहा
अब कैसे काटें हम ये सफ़र जागते रहो
तितली से एक फूल ने ली थी यही ख़बर
माली ने बेचा उसको किधर जागते रहो
आगे हैं और मंज़िलें तेरी ही मुंतज़िर
कहता है मेरा अज़्म ए सफ़र जागते रहो
जंगल शिकारियों से भरा है सो पंछियों
आगाह कर रहा है शजर जागते रहो
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