मैं सात रंगों से तेरे हाथों का एक कंगन बना रहा हूँ
मैं एक कागज़ पे दिल बना के अब उसकी धड़कन बना रहा हूँ
तिरी उदासी जो नईं दिखाए तुझे दिखाए हसीं हमेशा
कि सब ग़मों से निजात वाला मैं एक दर्पन बना रहा हूँ
के इक मुसव्विर बना रहा हो किसी हसीना का रुप जैसे
मैं अपने दिल में उसी तरह से तिरा ये जोबन बना रहा हूँ
मिरे ज़हन में नहीं है कोई हसीन सूरत तभी तो अबके
कि इक सफ़े पे उदास मन से मैं एक बिरहन बना रहा हूँ
तमाम लोगों के सारे ज़ख्मों का सोलयूशन बना सकूँ जो
अज़ल से अब तक मैं सारे रंजों की इक इक्वेशन बना रहा हूँ
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