Osama Zakir

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@osama-zakir

Osama Zakir shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Osama Zakir's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
सूख जाती है मिरी चश्म-ए-रवाँ बारिश में
आसमाँ होता रहे अश्क-ए-फ़िशाँ बारिश में

सारे सहराई रिहाई के तमन्नाई न थे
आ गया ले के हमें क़ैस कहाँ बारिश में

घोंसले टूट गए पेड़ गिरे बाँध गिरे
गाँव पे फिर भी जवाँ नश्शा-ए-जाँ बारिश में

तेरी सरसब्ज़ बहारों पे दमकते क़तरे
लौह-ए-महफ़ूज़ के कुछ रम्ज़-ए-निहाँ बारिश में

लब-ए-एहसास कभी तू किसी क़ाबिल हो जा
चूम ले मंज़िल-ए-मुबहम के निशाँ बारिश में

हाँफती काँपती मज़बूत इरादों वाली
बेंच पे बैठी हुई महव-ए-गुमाँ बारिश में

पहली टप टप ही मिरे होश उड़ा देती है
नींद उड़ती है अटक जाती है जाँ बारिश में

आज भी डरता हूँ बिजली के कड़ाके से बहुत
उस को क़ाबू में किया करती थी माँ बारिश में

मेरे कमरे का मकीं हब्स गला घोंटता है
कोई तो रम्ज़-ए-अज़िय्यत है निहाँ बारिश में
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Osama Zakir
वेंटीलेटर जिस्म को नक़ली साँसों से भरता था
मैं ज़िंदा था इख़राजात के बोझ तले मरता था

टेढ़े-मेढ़े आले ले के जिस्म पे टूट पड़े हैं
शायद जान गए हैं हुस्न की मैं पूजा करता था

हैलीकाप्टर धीरे धीरे उट्ठा ज़मीं थर्राई
मेरे दिल की ये हालत तो स्टेशन करता था

सड़क पे पीले पीले बैरियर सब का रस्ता रोकें
लेकिन मैं चलने का रसिया रुकने से डरता था

रेड-लाइट पे नंगा बच्चा कर्तब दिखलाता था
रोज़ का चलने वाला राही रोज़ अश-अश करता था

कैफ़े-काफ़ी-डे में डेट पे लेट हुए थोड़े से
हाथ न आया जीवन भर जन्मों का दम भरता था

धरने पे बैठने वाले पागल पिछड़ी ज़ात के थे सब
डी-एस-एल-आर वाला बस फोटो सीज़न करता था

इक तस्वीर में लहराया नीली साड़ी का पल्लू
एक दिवाना उस तस्वीर पे मी-रक़सम करता था

रात के साथ जो बात गुज़रती शाम को वापस लाता
शाम ढले से रात गए तक रोज़ यही करता था

शेक्सपियर ने जो लिक्खा है उस की अपनी क़ीमत
मैं था उर्दू वाला 'आग़ा-हश्र' का दम भरता था

रात के दिल में झाँकते झाँकते रात गुज़रती सारी
सुब्ह अलार्म सुन लेता था फिर बिस्तर करता था

ख़ुद को नतशा-ज़ादा कहता पर सोने से पहले
अंग्रेज़ी में कुर्सी पढ़ कर ख़ुद पर दम करता था
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Osama Zakir