Rabia Basri

Rabia Basri

@rabia-basri

Rabia Basri shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Rabia Basri's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
  • Nazm
कितना रोका मगर रुका ही नहीं
और मुड़ कर तो देखता ही नहीं

तेरी चौखट का भारी दरवाज़ा
दस्तकें दे के भी खुला ही नहीं

मुझ में इतना बिखर गया है वो
लाख चाहूँ सिमट रहा ही नहीं

साहिबा दोस्त मान रक्खा था
और तू दुख में बोलता ही नहीं

हिज्र ने ख़ुद भी ये गवाही दी
वापसी का तो रास्ता ही नहीं

कुंज-ए-तन्हाई में असीर-ए-इश्क़
ख़ुद से बाहर कभी गया ही नहीं

एक मुद्दत से आश्ना हैं मगर
आइने से मुकालिमा ही नहीं

किस मोहब्बत की बात करते हो
जिस मोहब्बत में दिल जला ही नहीं

किस को इतना मक़ाम देते हम
इतना अच्छा कोई लगा ही नहीं

कुछ तो होता कि ज़िंदगी करते
इस तअल्लुक़ का कुछ सिला ही नहीं

सारी दुनिया शुमार बैठी हूँ
या'नी गिनती में 'राबिया' ही नहीं
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Rabia Basri
हवा को थाम लें ख़ुशबू का एहतिमाम करें
सँवर लिया हो तो हम चाँद से कलाम करें

हम अपने सोग भुला के उन्हें सलामी दें
चलो कि हिज्र के मारों का एहतिराम करें

गुलाब-रुत में किसी छत पे रंग ले के चलें
जुनूँ में भीगने वालों का इंतिज़ाम करें

पुराने बेलियों से मिलते आएँ गाँव में
गली में बैठे फ़क़ीरों को भी सलाम करें

वो शख़्स दोस्त था अब वो अदू हुआ तो क्या
वो आ रहा है जो मिलने तो एहतिमाम करें

तुम्हें ये चाह कि अब लॉन्ग ड्राईव पे निकलें
हमें ये फ़िक्र कि दफ़्तर का थोड़ा काम करें

हम अपनी राह से भटके हुए मुसाफ़िर हैं
किन्हें पड़ी कि कोई शाम अपने नाम करें

बहुत बरस हुए हैं परवरिश किए दुख की
चलो कि दर्द की शिद्दत का एहतिमाम करें
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Rabia Basri
ख़ुशी तक़्सीम करती हूँ दिल-आज़ारी नहीं आती
मिरा मक़्सद है ग़म-ख़्वारी अदाकारी नहीं आती

यहाँ वो आगे आता है कि जो फ़नकार होता है
मुझे दरवेशी के चोले में अय्यारी नहीं आती

अभी सब कुछ मयस्सर है कमी कोई नहीं बाक़ी
न-जाने फिर भी पहले जैसी सरशारी नहीं आती

मिरे कुछ फ़ैसले मेरे नहीं सो दरगुज़र करना
अभी ससुराल में रहती हूँ इंकारी नहीं आती

मैं जब मातम को जाती हूँ किनारे बैठ जाती हूँ
यूँही आँसू बहाती हूँ अज़ा-दारी नहीं आती

चलो जो भी हुआ हम मान के राहें बदलते हैं
मुझे अब फ़ैसलों में कोई दुश्वारी नहीं आती

मैं अपने कमरे से सारी किताबें ले तो आई हूँ
वो जिस में लम्स था तेरा वो अलमारी नहीं आती
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