पास मेरे भी क्या नहीं होता
दूर अगर तू हुआ नहीं होता
तू जो मुझसे मिला नहीं होता
इश्क़ क्या है पता नहीं होता
हम जो इंसां कभी अगर होते
ज़ात का मस'अला नहीं होता
दर्द हद से गुज़र गया मौला
फिर भला क्यूँ दवा नहीं होता
चाहे उड़ ले तू आसमानों में
ऐसे कोई ख़ुदा नहीं होता
हम अगर दोस्ती पे रुक जाते
दरमियाँ फ़ासला नहीं होता
है अजब मस'अला कि वो अफ़ज़ल
मेरा होकर मिरा नहीं होता
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