तुम्हारे इश्क़ में मैं इस क़दर जानाँ फड़क जाऊँ - Azhan 'Aajiz'

तुम्हारे इश्क़ में मैं इस क़दर जानाँ फड़क जाऊँ
अगर रोऊँ निगाहों से तुम्हारी मैं छलक जाऊँ

तुम ऐसी गुल-बदन लड़की हो जान-ए-जाँ ज़रा सा भी
अगरचे मैं तुम्हें छूलूँ तो ख़ुश्बू से महक जाऊँ

दुपट्टा मैं तुम्हारा यार बन जाऊँ मिरी जानाँ
सँभालो तुम मुझे जानाँ जो गिर जाऊँ सरक जाऊँ

तुम्हारे इश्क़ का शोला हूँ और तुम हो हवा जैसी
किसी और से मिलो जो तुम अगर तो मैं दहक जाऊँ

समंदर हैं तुम्हारी चश्म साग़र हैं है मय इनमें
नशा ऐसा अगर देखूँ अगर सोचूँ बहक जाऊँ

- Azhan 'Aajiz'
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