बहुत सहमा सा घबराता हुआ महसूस होता है
मुझे जो दूर से आता हुआ महसूस होता है
बला तो ज़िन्दगी से हो गई रुख़्सत बहुत पहले
मेरा दिल अब भी घबराता हुआ महसूस होता है
यहाँ बाद-ए-बहारी तो चली है रोज़-ओ-शब पैहम
मगर हर फूल मुरझाता हुआ महसूस होता है
बहुत दहशत-ज़दा लगता है वो ख़ुद अपनी बस्ती में
यही कारण वो हकलाता हुआ महसूस होता है
कभी मूँदे कभी खोले वो अपने हाथ की मुट्ठी
मुझे वो राज़ समझाता हुआ महसूस होता है
जिसे हमने सिखाया ज़िन्दगी जीने का हर इक फ़न
हमें तलकीन फ़रमाता हुआ महसूस होता है
ज़माने ने ज़बाँ उसकी बहुत पहले तराशी थी
वही इमरोज़ चिल्लाता हुआ महसूस होता है
फ़क़ीरी में गुज़ारी जिसने ख़ुद ही ज़िन्दगी अपनी
फ़क़ीरों को वो ठुकराता हुआ महसूस होता है
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