कर दूँ सब तुझपे ख़र्च इतनी दौलत नहीं है
बे फ़िज़ूली की मुझको भी आदत नहीं है
अब किसी को भी मुझसे मुहब्बत नहीं है
अब मुझे भी किसी से शिकायत नहीं है
अब किसी पर नहीं कर सकेंगे भरोसा
दिल धड़कता है लेकिन सलामत नहीं है
कटघरे में खड़े हैं वो सर को उठा कर
जिनको अपने किए पर नदामत नहीं है
बात हक़ की कहें गर तो बाग़ी हैं हम लोग
आप दंगे करें तो बग़ावत नहीं है
बाक़ी सब कुछ मेरे पास है उसके जितना
लेकिन उसके बराबर जहालत नहीं है
थी गई गुज़री जो बेच कर खा गए आप
आपकी आँखों में कोई ग़ैरत नहीं है
मेरे दिल पर है उसकी हुकूमत मगर अब
उसके दिल पर मेरी बादशाहत नहीं है
हम चले जाएँगे दूर नज़रों से तेरी
तू बस इक बार कह दे मुहब्बत नहीं है
मिल गया है मुझे मौत का सारा सामान
अब किसी चीज़ की मुझको हाजत नहीं है
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