मिलकर देखा है मैने उदास लोगों से
दर्द मिला था सबको अपने ख़ास लोगों से
इक्यावन थे तेरे आशिक सब हैं दुख में
मिलकर आया हूँ बाकी पचास लोगों से
नफ़रत कम किया करो ये कड़वी होती है
नफ़रत खींचा करती है मिठास लोगों से
पहले गालियाँ दी काफ़ी फ़िर सोचा मैने
क्या क्या करवा देती है भड़ास लोगों से
जाते वक़्त सफ़र पे माँ अक्सर कहती है
खान-पान मत लेना ना-शनास लोगों से
फ़हम से बाहर है क्यूँ होता है कि मुझे ये
इश्क़ हो ही जाता है बे-क़यास लोगों से
रूह एक जैसी होती है सबकी यारों देखो
उतार कर के ज़िस्म का तुम लिबास लोगों से
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