लोगों को दिलाएगी ग़ज़ल याद हमारी - Saif Dehlvi

लोगों को दिलाएगी ग़ज़ल याद हमारी
होगी न कभी शाइरी बर्बाद हमारी

ख़ुद साहिब-ए-औलाद है औलाद हमारी
फिर भी नहीं आती है उसे याद हमारी

रोता है सुबह शाम ये कह कह के फिलिस्तीन
मलबे में दबी मरती है औलाद हमारी

इस वक़्त-ए-मुसीबत में हमें देखना ये है
अब कौन करे आन के इमदाद हमारी

माबूद जहाँ भी रहे आबाद रहे वो
वो कर गया जो ज़िन्दगी बर्बाद हमारी

हम ख़ुद भी उन्हें भुल गए उन से बिछड़ कर
और उन को भी आई न कभी याद हमारी

हम सब से मुसीबत में मदद माँग रहे थे
अफ़सोस किसी ने न की इमदाद हमारी

जो हमको मिटाने के तलबगार हैं सुन लें
कम हो नहीं सकती कभी तादाद हमारी

हम तेरे अलावा न सुनाऍंगे किसी को
जो सुनना भी चाहे कोई फ़रियाद हमारी

देखो तो बदन क़ैद है बरसों से हमारा
सोचो जो अगर सोच है आज़ाद हमारी

- Saif Dehlvi
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