ये कह रहा है ज़माना के इश्क़ जीत गया
हर एक लब पे है नारा के इश्क़ जीत गया
उधर से क़ैस ये बोला के इश्क़ जीत गया
इधर से मैं भी पुकारा के इश्क़ जीत गया
सदा ये दश्त से आती है रोज़ मजनूँ की
ये मौज़ू रखना ग़ज़ल का के इश्क़ जीत गया
बताओ इश्क़ के मक़तल में क्या हुआ मुर्शीद
कोई जो पूछे तो कहना के इश्क़ जीत गया
कहा ये क़ैस ने अब आने वाली नस्लों का
हर एक बच्चा कहेगा के इश्क़ जीत गया
अदू सब इश्क़ के मुँह को छुपाए फिरते हैं
गली गली है ये चर्चा के इश्क़ जीत गया
कहा ये हीर ने लैला से मुस्कुराते हुए
मुबारक आपको लैला के इश्क़ जीत गया
जो लोग इश्क़ के दुश्मन थे उनकी मात हुई
मुअर्रख़ीन ने लिक्खा के इश्क़ जीत गया
ये बज़्म-ए-इश्क़ सजाकर सब आशिक़ान-ए-जहाँ
लो गा रहे हैं ये नग़्मा के इश्क़ जीत गया
वो क़ैस हो के जनाब-ए-शजर के राँझा हो
सभी ने राज़ ये खोला के इश्क़ जीत गया
ब रोज़-ए-हश्र मुकम्मल यक़ीन है मुझको
शजर ख़ुदा भी कहेगा के इश्क़ जीत गया
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