इश्क़ की राह में फूलों की कहानी तो नहीं
ग़म हक़ीक़त है कोई ख़ाम-ख़याली तो नहीं
कितना कुछ मैंने समेटा है अभी मिस्रों में
याद आया प' ग़ज़ल उनको सुनानी तो नहीं
जो लिखे मैंने तुम्हें ख़त वो तुम्हें दूँगा पर
पहले तुम मेरी क़सम खाओ पढ़ोगी तो नहीं
मुश्किलें और भी आएगी मुहब्बत के सिवा
ज़िंदगी बस तेरी यादों में बितानी तो नहीं
देखना है कि तुझे कौन यहाँ चाहेगा
बेवफ़ाई तेरी लोगों से हिजाबी तो नहीं
मुझसे हालात में जी लोगे बिखर जाओगे
तोहमतें जिस्म का हिस्सा है लिबासी तो नहीं
मैं तो मैं ही था मेरा क़त्ल भी ज़ाया ही गया
देखने वाले की फ़ितरत ही ख़मोशी तो नहीं
जो भी आएगा ज़मीं ओढ़ के सो जाएगा
ये फ़कीरों का ठिकाना है हवेली तो नहीं
अभी सय्यद तेरी बातों का सिला बाक़ी है
ख़ून आँखों में भरा है ये उदासी तो नहीं
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