जवाब आते थे के अबके राख आयी है
खत जलाने का रिवाज़ था मगर पढ़ने के बाद
सोचा की न लिखेंगें अब, जो थी बातें हो चुकी
मैंने लिखा है तुम्हे, खुद से बहुत लड़ने के बाद
अबके टूटा है कि यूँ जुड़ता नज़र आता नहीं
रहिमन धागा प्रेम का है, गाँठ पड़ने के बाद
घर मेरा था, अब होता जा रहा मज़ार है
वो लौट आएंगे, यक़ीनन मेरे मरने के बाद
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