यूँ ही आधे को दोगुना न करो
बे-ज़मीरों से मशविरा न करो
काम आसान भी नहीं इतना
मेरे हिस्से का रतजगा न करो
काम आएँगी कुछ न कुछ ये भी
मेरी बातों को अनसुना न करो
सिसकियाँ हैं अभी बची मेरी
ज़िंदगी से मुझे रिहा न करो
हो न जाए कहीं कोई ग़लती
जोश में हो तो फ़ैसला न करो
साथ कुदरत के जब कभी खेलो
दाँव पहले से तुम चला न करो
एक मुद्दत से लापता हूँ मैं
यूँ ही दर दर मेरा पता न करो
उम्रभर की नज़र कमाई हैं
तोहमतों से मुझे जुदा न करो
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