सारी दुनिया तलाश ली है माँ
तू मगर किस जगह गई है माँ
मैं नहीं सो सका हूँ सारी रात
और तू भी कहीं जगी है माँ
माँ मेरी माँ कहाँ हो प्यारी माँ
ज़िंदगी मेरी अब यही है माँ
गर ख़ुदा है कहीं तो आगे आ
तूने क्यों मुझसे छीन ली है माँ
अपने पैरों पे मैं खड़ा हूँ देख
मेरे हाथों में नौकरी है माँ
अब कहाँ गोल रोटियों पर घी
अब तो जो भी है सब सही है माँ
गर कभी रात को न खाऊँ तो
क्या तू अब भी पुकारती है माँ
वैसे मैं बेहतरीन हूँ लेकिन
मेरी बस एक ही कमी है माँ
लौटती क्यों नहीं वहाँ से क्या
इतनी मुश्किल ये वापसी है माँ
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