मशवरा देते इस्तिख़ारे हैं

  - Meena Bhatt

मशवरा देते इस्तिख़ारे हैं
तुम हमारे हो हम तुम्हारे हैं

क्या ज़माना सताएगा हमको
हम तो तक़दीर के ही मारे हैं

साथ उनके गुज़ारे जो लम्हे
हिज्र के बस वही सहारे हैं

दो निवाले मिले न खाने को
ऐसे दिन भी कभी गुज़ारे हैं

वस्ल की शब है जगमगाती हुई
कितने दिलकश हसीं नज़ारे हैं

ये मुकम्मल कभी न हो पाए
ख़्वाब दिल के सभी कुँवारे हैं

अपना साया जुदा हुआ मीना
ज़ीस्त से ख़ुद की हम तो हारे हैं

  - Meena Bhatt

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