प्यार के लफ़्ज़ों में ढली देखो
और ग़ज़ल मेरी संदली देखो
इक सुकोमल सी वो कली देखो
है मगर दिल में खलबली देखो
कल तलक रौनक़ें जहाँ पर थी
आज सूनी वही गली देखो
ज़हर ही ज़हर है भरा इसमें
है जो नफ़रत की पोटली देखो
अब न सहमेगी देख कर वो कभी
लड़ती दानव से लाड़ली देखो
तल्ख़ियाँ हैं ज़बाँ पे लोगों की
गुड़ की गायब हुई डली देखो
संग परवाने के तो वो 'मीना'
शम्अ भी रात भर जली देखो
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