वक़्त इक पल भी ये कहाँ ठहरे

  - Meena Bhatt

वक़्त इक पल भी ये कहाँ ठहरे
ये भला किसके दरमियाँ ठहरे

रोज़ दिल में ख़याल आते हैं
कब ख़यालों का कारवाँ ठहरे

कोई उनका यक़ीं करे क्यों अब
जब वो झूठों के पासबाँ ठहरे

क़त्ल हो जाएँगे मुहब्बत में
ये हैं आशिक़ ये बे-ज़बाँ ठहरे

मेरे दिल में क़याम है उनका
दिलरुबा हैं वो जान-ए-ज़ाँ ठहरे

चाँद सूरज भी ज़ेर-ए-साया हैं
उनका क्या है वो आसमाँ ठहरे

ज़र्रे-ज़र्रे में है हवा 'मीना'
पर कहाँ इसका कुछ निशाँ ठहरे

  - Meena Bhatt

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